Citizens United - Nijeder Mote Nijeder Gaan
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हम देखेंगे
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वादा है
जो लोह-ए-अज़ल[1] में लिखा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां [2]
रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों[3] के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम[4] के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत[5] उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा[6], मरदूद-ए-हरम[7]
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा अल्लाह[8] का
जो ग़ायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र[9] भी है नाज़िर[10] भी
उट्ठेगा अन-अल-हक़[11] का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज़ करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा[12]
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
लाज़िम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वादा है
जो लोह-ए-अज़ल[1] में लिखा है
जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां [2]
रुई की तरह उड़ जाएँगे
हम महकूमों[3] के पाँव तले
ये धरती धड़-धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हकम[4] के सर ऊपर
जब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जब अर्ज-ए-ख़ुदा के काबे से
सब बुत[5] उठवाए जाएँगे
हम अहल-ए-सफ़ा[6], मरदूद-ए-हरम[7]
मसनद पे बिठाए जाएँगे
सब ताज उछाले जाएँगे
सब तख़्त गिराए जाएँगे
बस नाम रहेगा अल्लाह[8] का
जो ग़ायब भी है हाज़िर भी
जो मंज़र[9] भी है नाज़िर[10] भी
उट्ठेगा अन-अल-हक़[11] का नारा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
और राज़ करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा[12]
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो
From Faiz's poem - Hum dekhenge
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Aamir Aziz - Sab Yaad rakha jayega
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Gopal Das Neeraj - Dharm hai
जिन मुश्किलों में मुस्कुराना हो मना,
उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है।
जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।
हो नहीं मंजिल कहीं जिस राह की
उस राह चलना चाहिए इंसान को
जिस दर्द से सारी उम्र रोते कटे
वह दर्द पाना है जरूरी प्यार को
जिस चाह का हस्ती मिटाना नाम है
उस चाह पर हस्ती मिटाना धर्म है।
आदत पड़ी हो भूल जाने की जिसे
हर दम उसी का नाम हो हर सांस पर
उसकी खबर में ही सफ़र सारा कटे
जो हर नजर से हर तरह हो बेखबर
जिस आँख का आखें चुराना काम हो
उस आँख से आखें मिलाना धर्म है।
जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयम जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।
उन मुश्किलों में मुस्कुराना धर्म है।
जिस वक़्त जीना गैर मुमकिन सा लगे,
उस वक़्त जीना फर्ज है इंसान का,
लाजिम लहर के साथ है तब खेलना,
जब हो समुन्द्र पे नशा तूफ़ान का
जिस वायु का दीपक बुझना ध्येय हो
उस वायु में दीपक जलाना धर्म है।
हो नहीं मंजिल कहीं जिस राह की
उस राह चलना चाहिए इंसान को
जिस दर्द से सारी उम्र रोते कटे
वह दर्द पाना है जरूरी प्यार को
जिस चाह का हस्ती मिटाना नाम है
उस चाह पर हस्ती मिटाना धर्म है।
आदत पड़ी हो भूल जाने की जिसे
हर दम उसी का नाम हो हर सांस पर
उसकी खबर में ही सफ़र सारा कटे
जो हर नजर से हर तरह हो बेखबर
जिस आँख का आखें चुराना काम हो
उस आँख से आखें मिलाना धर्म है।
जब हाथ से टूटे न अपनी हथकड़ी
तब मांग लो ताकत स्वयम जंजीर से
जिस दम न थमती हो नयन सावन झड़ी
उस दम हंसी ले लो किसी तस्वीर से
जब गीत गाना गुनगुनाना जुर्म हो
तब गीत गाना गुनगुनाना धर्म है।
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Swarathma - Mushkil mein jeena
Lyrics
Kaanton ke mausam mein
Phoolon ki khushboo ko chunte raho
Dum bhar ke saanson mein
Ummeed koi jagaate raho
Mushkil mein jeena na bhoolo
Koi geet sunte raho
Yeh geet hi hai geet woh
Suna raha hoon geet woh
Main gaa raha hoon geet woh
Patthar ke seene mein
Dil ki surangein banaate raho
Thehre se paani mein
Hansti tarangein uthaate raho
Mushkil mein jeena na bhoolo
Koi geet gaate raho
Main gaa raha hoon geet woh
Suna raha hoon geet woh
Yeh geet hi hai geet woh
Aayenge phool bhi
Rangon ke sang aayenge
Aayenge phir humein
Jeene ke dhang aayenge
Jeene ke dhang aayenge
Aayenge phool bhi
Rangon ke sang aur
Aayenge phir humein
Jeene ke dhang aur
Mausam badal jaayenge
Mausam badal jaayenge
Mausam badal jaayenge
Saare sur laut aayenge
Phir se saare sur laut aayenge
Main gaa raha hoon geet woh
Suna raha hoon geet woh
Yeh geet hi hai geet woh
Patthar ke seene mein
Dil ki surangein banaate raho
Kaanton ke mausam mein
Phoolon ki khushboo ko chunte raho
Mushkil mein jeena na bhoolo
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Hum Kagaz Nahin dikhayenga - Varun Grover
Hum Kaagaz Nahi Dikhayenge,
Taana-Shah Aake Jayenge,
Hum Kaagaz Nahi Dikhayenge,
Tana-Shah Aake Jayenge,
Hum Kaagaz Nahi Dikhayenge,
Tum Aansu Gas Uchhaaloge,
Tum Zehar Ki Chai Ubaaloge,
Hum Pyar Ki Shakkar Gholke Isko,
Gatt, Gatt, Gatt Pee Jayenge,
Hum Kagaz Nahi Dikhayenge.
Ye Desh Hi Apna Hasil Hai,
Jahan Ram Prasad Bhi Bismil Hai,
Mitti Ko Kaise Baantoge,
Sabka Hi Khoon Toh Shaamil Hai,
Tum Police Se Latth Padaa Doge,
Tum Metro Band Kara Doge,
Hum Paidal-Paidal Ayenge,
Hum Kagaz Nahin Dikhayenge.
Hum Manji Yahin Bichhayenge,
Hum Kaagaz Naheen Dikhaayenge,
Hum Sanwidhaan Ko Bachayenge,
Hum Kaagaz Naheen Dikhaayenge,
Hum Jan-Gan-Man Bhi Gayenge,
Hum Kaagaz Nahin Dikhaayenge,
Tum Jaat-Paat Se Baantoge,
Hum Bhaat Maangte Jayenge,
Hum Kagaz Nahin Dikhayenge.
Hum Kagaz Nahin Dikhayenge.
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Rahat Indori - Kise ke baap ka Hindostaan thodi hai
अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द्द में यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है मैं जानता हूँ की दुश्मन भी कम नहीं लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है जो आज साहिब-इ-मसनद है कल नहीं होंगे किराएदार है जाती मकान थोड़ी है सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है Agar Khilaf Hai, Hone Do, Jaan Thodi Hai Agar Khilaf Hai, Hone Do, Jaan Thodi Hai Ye Sab Dhuan Hai, Koi Aasman Thodi Hai Lagegi Aag to Aayenge Ghar Kaee Zadd Mein Yahaan Pe Sirph Hamaara Makaan Thodee Hai Main Jaanta Hoon Kee Dushman Bhi Kam Nahi Lekin Hamari Tarah Hatheli Pe Jaan Thodi Hai Hamaare Munh Se Jo Nikale Vahee Sadaaqat Hai Hamaare Munh Mein Tumhaaree Jubaan Thodi Hai Jo Aaj Sahibe-masnad Hai Kal Nahi Honge Kiraedaar Hai Jaatee Makaan Thodi Hai Sabhi Ka Khoon Hai Shamil Yahan Ki Mitti Mein Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hai
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