Monday, December 15, 2008

मोजज़ा

मोजज़ा

आज फिर माँ ने मुझे डांटा
ज़रूर तुने शिकायत करी होगी
मुझसे डरता है क्या ?
सीधे बात क्यूँ नहीं करता

दो हफ्ते पहले,
मैं तेरे घर गया था
तेरे दोस्त ने बढ़िया खाना भी खिलाया
पर तू न आया मिलने
मैंने आवाज़ भी दी थी
मुँह फुला के बैठा है क्या ?


तेरी मोज़जा के बहुत किस्से सुने
एक मोज़जा मुझे भी दिखा दे
मुझ को भी एक किस्सा बना दे
किसी बात का असर होता है क्या?


दुनिया माने पर मैं ना मानूं
और मानूं भी तो किस मन से
किंतु तेरी मोजज़ा है बढ़ी मशहूर
यह बात तो मानने की है
खुश हो ले, मैंने कुछ तो माना |



Inspired by Pushkar by Gulzaar. Thanks to Aman for giving it to me.

2 comments:

aman said...

nice one!!!
par ye mojja hai kya bala ?

arvind batra said...

mojza mane miracle