Mera yaar
बड़े दिनों बाद आज मेरा यार मुझसे आया मिलने
बरान्दे में बैठ कर मैं बस उसको देखता ही रहा
चाय की गर्मी, पकोडों का स्वाद और उसकी मीठी आवाज़
इस बार गर्मी ने तंग ही कर दिया था
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क्या बात है! क्या बात है!
मेरे मन को पढ़ लिया मेरे यार ने
बस अब तू गाये चल और मैं नाचता चलूँ
डर है मुझे कहीं इस रेडियो की बैटरी न चली जाए
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आ गया मेरे यार आज फिर से
अबे रोज़ रोज़ तो परेशान मत किया कर
कम से कम दस्तक दे के आया कर
हर सवेरे खिड़की पे अपनी शकल ले के आ जाता है
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ऐसा भी क्या रूठा बैठा है , यार मेरा
घंटे भर से याद कर रहा हूँ
चार प्याले चाय हो गयी तेरी इंतज़ार में
कागज़ अभी भी कोरा है, और सिहाही वहीँ की वहीँ
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Inspired from Gulzaar's Triveni.
2 comments:
उम्दा त्रिवेणियाँ हैं.
dhanyavaad ravushankar ji.
Aapke blogs bhi bahut ache hain. joote ki abhilasha (http://raviratlami.blogspot.com/2009/04/blog-post_16.html)
bahut hi mazeddar thi
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