Thursday, May 28, 2009

बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ

aaj subah, bas man kiya kuch likhne ka, kuch shabdon ki thi awaaz. 5 min mein, jo aaya man mein woh chaap diya :)


बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ

कुछ मेरे भी सिद्वांत थे
मेरे भी कुछ ख्वाब थे
मैंने भी कुछ वादे किये थे
मेरे भी कुछ उद्देश्य थे
बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ

कुछ थी मेरी आकांक्षा
कुछ थी उसकी उम्मीदें
कुछ थे मेरे फैसले
और कुछ थी मेरी मजबूरी
बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ

मेरी थी वो इक सोच
मेरी थी वो इक तमन्ना
मेरा था इक रास्ता
बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ

कुछ थे मेरे साथी
कुछ थे मेरे हमसफ़र
कई ने समझाया मुझको
बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ


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बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ
जो पीछे देखूं तो एक सच हुआ ख्वाब
जो पीछें देखूं तो एक सम्पूर्ण कार्य
जो आगे देखूं तो अब और क्या
जो आगे देखूं तो कहाँ जाऊं

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बस आज अब कुछ ऐसे मोड़ पे खड़ा हूँ
जो पीछे देखूं तो अक अधूरा सपना
जो पीछे देखूं तो एक अजब निराशा
जो आगे देखूं तो एक और मंजिल
जो आगे देखूं तो एक नया रास्ता
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